कैलकुलेटर, आज हम सभी की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण
हिस्सा बन गया है। कैलुकेटर ने गणना को बेहद आसान बना दिया है। कैलकुलेटर से न
सिर्फ आज छात्र बड़े-बड़े न्यूमेरिकल आसानी से हल कर लेते हैं, बल्कि दुकानदार और घरेलू महिलाएं भी लेन-देन से संबंधित हिसाब एवं गणना इसकी
मद्द से आसानी से कर लेते हैं।
कैलकुलेटर की उपयोगिता को देखते हुए
आजकल स्मार्टफोन और कम्प्यूटर में भी यह उपलब्ध है। वहीं जहां पहले बड़ी-बड़ी
गणनाओं को करने में काफी वक्त लगता था और संख्याओं का जोड़ना, घटाना
काफी मुश्किल हुआ करता था।
वहीं
अब कैलकुलेटर की सहायता से इसे चुटकियों में कर लिया जाता है, लेकिन
क्या आप जानते हैं ये गणनात्मक यंत्र यानि कैलकुलेटर की शुरुआत कैसे हुई और इसका
अविष्कार किसने किया? अगर नहीं तो इसके लिए पढ़े ये पोस्ट –
कैलकुलेटर का अविष्कार एवं इतिहास – Calculator
Information in Hindi
कैलकुलेटर क्या है ? – What is
Calculator
कैलकुलेटर, एक
छोटे आकार का पोर्टेबल इलैक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसका
इस्तेमाल संख्याओं को जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग
या फिर किसी अर्थमैटिक ऑपरेशन के लिए किया जाता है।
इसकी
मद्द से कठिन से कठिन गणना भी सैकेंड्स में बेहद आसानी से हो जाती है। वहीं
बड़ी-बड़ी गणनाओं के लिए तो कंप्यूटर का ही उपयोग किया जाता है, लेकिन
जहां पर कंप्यूटर का इस्तेमाल संभव नहीं है, वहां
पर कैलकुलेटर की मद्द से छोटी-छोटी गणना की जाती है।
वहीं
कैलकुलेटर से गणित की गणनाओं और कई सवालों को हल करना बेहद आसान हो गया है, इसलिए
कैलकुलेटर का लोग अपने दैनिक कामों में खूब इस्तेमाल करते हैं।
वहीं
आज स्मार्टफोन और कंप्यूटर में भी कैलकुलेटर उपलब्ध हैं। इसके अलावा मार्केट में
कई डिजिटल कैलकुलेटर उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ सेल, बैटरी
से चलते हैं तो कुछ सोलर कैलकुलेटर हैं जो की सूर्य की रोशनी से चार्ज होते हैं।
कैलकुलेटर का इतिहास – History of Calculator
कैलकुलेटर का अविष्कार किसने किया – Who Invented Calculator
गणना
करने के लिए पहले नुकीली हड्डियों अथवा हाथ-पैर की उंगलियों का इस्तेमाल किया जाता
था, लेकिन बड़ी गणना के लिए इसमें काफी मुश्किल होने लगी, इसलिए
17 वीं सदी में मैकेनेकिल कैलकुलेटर उपयोग में
लाए जाने लगे। पहले मैकेनिकल कैलकुलेटर का अविष्कार विल्हेम शिकार्ड ने
साल 1642 में किया था, जिसे
ब्लेज पास्कल नाम दिया गया था।
काफी सुधार के बाद इलैक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर हुए विकसित – Electrical Calculator
जैसे-जैसे
मानव जाति का विकास होता गया, वैसे ही समय के साथ गणना करने के लिए
कैलकुलेटर में भी कई बदलाव किए गए। वहीं 19 वीं
सदी में जब औद्योगिक जगत में क्रांति आई, और
तेजी से विकास हआ, तब लोगों की जरूरत को देखते हुए कैलकुलेटर में कई सारे
बदलाव हुए।
अमेरिका
के जेम्स एल डाल्टन में डाल्टन एडिंग मशीन की खोज की और फिर साल 1948
Curta Calculator विकसित किया था, जो कि
काफी महंगा था, लेकिन इसकी सहायता से बड़ी-बड़ी संख्याओं और डाटा की
कैलकुलेशन आसानी से संभव हो जाती थी।
इसके
बाद साल 1960 के दशक में छोटे आकार के इलैक्ट्रॉनिक
कैलकुलेटर इजाद किए गए। फिर साल 1970 में
एक जापानी कंपनी Busicom और इंटेल ने संयुक्त रुप से मिलकर मॉडर्न युग
के कैलकुलेटर को बनाया, जिससे आसानी से कठिन से कठिन गणना की जा सकती है और इसकी
खास बात यह है कि इंसान इसे अपनी जेब में रखकर अपने साथ कहीं पर भी ले जा सकता है, जिनका
इस्तेमाल आज भी किया जाता है।
आधुनिक
कैलकुलेटर के अविष्कार से पहले ऐसे होती थी गणना –
·
गणना
के लिए ईशानगो हड्डी का उपयोग – Ishango
करीब 32 हजार
साल पहले लोग कैलकुलेशन के लिए ईशानगो हड्डी का उपयोग करते थे। दअरसल इन हड्डियों
पर खींची गई लकीरें अनोखी थी, और इन लकीरों के माध्यम से गणना की
जाती थी।
·
गणना
के लिए अबेकस का इस्तेमाल – Abacus
इन
हड्डियों के माध्यम से बड़ी गणना करने में मुश्किल होती थी। इसलिए ज्यादा संख्याओं
की गणना के लिए करीब 2700 साल पहले अवेकस का अविष्कार किया गया। यह एक
पहली कैलकुलेटिंग मशीन थी, इसे हिन्दू एवं अरेबिक संख्या प्रणाली के लिए इजाद किया गया
था। यह एक लकड़ी या प्लास्टिक से बनी छोटी-छोटी फ्रेम सामांतर तरीके से रखकर बनाया
गया था।
आपको
बता दें कि गणना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस यंत्र के प्रत्येक छड़ में 1 से
लेकर 9 तक की संख्याएं होती है, जिसमें
लोग फ्रेम को घटा-बढ़ा कर बड़ी गणना करते थे, हालांकि
इससे गणना करने में काफी समय भी लगता था।
·
कैलकुलेटिंग
क्लॉक का इस्तेमाल – Calculator Clock
इसे Wilhelm
Schickard ने साल 1623 में
बनाया था, यह पहली ऐसी एडिंग मशीन थी, जिसमें
गुणा करने के लिए multiplying device लगे हुए थे।
स्लाइड
नियम – Slide Rule
16 वीं
शताब्दी में गणितज्ञ जॉन नेपियर ने गणितीय प्रश्नों को हल करने के लिए एल्गोरिदम
की खोज की। स्लाइड रुल में दो तरह की पटरियां लगी होती थी, जो कि
एक-दूसरे के सापेक्ष शिफ्ट भी हो जाती थी।
स्टेप्पेड
रेकोनर यंत्र (दुनिया का पहला आधुनिक कैलकुलेटर) –
Stepped Reckoner
स्टेप्पेड
रेकोनर यंत्र, दुनिया की पहली मॉडर्न खोज थी, इसे
विश्व का पहला आधुनिक कैलकुलेटर के तौर पर भी जाना जाता है। इसकी खोज गोटफ्राइड
वॉन लाइबनिट्स ने की थी। इस यंत्र की सहायता से अर्थमैटिक ऑपरेशन जैसे गुणा, भाग, घटना
आदि बेहद आसान हो गया था।
अरिथमोमीटर
(पहला सफल मशीनी कैलकुलेटर) – Arithmometer or
Arithmomètre
साल 1820 में
थॉमस डे ने दुनिया का पहला सबसे सफल मशीनी कैलकुलेटर बनाया था, जिसका
सबसे ज्यादा इस्तेमाल साल 1851 से 1890 तक
किया गया। यह काफी हद तक सफल हुआ था, क्योंकि
यह जोड़, घटाना, गुणा, भाग
आसानी से कर सकता था।
कोम्प्तोमीटर
का अविष्कार (कुंजी बोर्ड की सुविधा से लैस) –
Comptometer
कुंजी
बोर्ड के साथ साल 1887 में मशीनी कैलकुलेटर कोम्प्तोमीटर की खोज की
गई। यह पास्कल कैलकुलस यंत्र पर आधारित था। इसमें सबसे ज्यादा खास बात यह थी कि
इसमें आधुनिकता के साथ प्रिंटिंग जैसी सुविधा को भी शामिल किया गया।
एनालिटिकल
इंजन (प्रोग्रामैटिक डिवाइस) – Analytical Engine
प्रोग्रामर
के अधीन काम करने वाला यह विश्व का सबसे पहला प्रोग्रामैटिक डिवाइस था।
मिलिनेयर
(बेहद आसानी से होता था गुणा) – Millionaire
लेओन
बोली ने साल 1893 में मिलिनेयर डिवाइस की खोज की थी, इसकी
सहायता से किसी भी संख्या का गुणा किसी दूसरे अंकों से कुछ मिनटों में ही हो जाता
था।
इसके
अलावा आधुनिक डिजिटल कैलकुलेटर के अविष्कार से पहले नीचे लिखे गए कैलकुलेटर को
बनाया गया था और कई प्रयोग के बाद ही आज हम मॉडर्न कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर पा
रहे हैं तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे कैलकुलेटर के बारे में –
Types
of Calculator
·
IBM 608 (FIRSTALL -TRANSISTORCALCULATOR:1954)
·
ANITA MK -8 (1961: FIRSTALL -ELECTRONIC DESKTOP CALCULATOR)
·
Cal Tech (1967: FIRST HANDHELD Calculator)
·
Busicom LE-120A “HANDY”(1971: TRULY POCKET-SIZED ELECTRONIC
Calculator)
·
HP-65 (1974: FIRST HANDHELD PROGRAMMABLE Calculator)
·
Casio fx-7000G (1985: FIRST GRAPHING Calculator)
·
Sharp EL-9650 ( 2003: FIRST GRAPHING Calculator With Touch
Functionality)
·
Casio PRIZM(2010:FIRST COLOR GRAPHING Calculator)
इस
तरह कई अविष्कार के बाद आधुनिक कैलकुलेटर उपयोग में लाया गया, जिसने
कैलकुलेशन को बेहद आसान बना दिया है। वहीं यह न सिर्फ कठिन से कठिन गणना चंद
सैंकेंड में कर समय की बचत करता है, बल्कि
एक्युरेट रिजल्ट भी देता है।
हालांकि, हमें
जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और आसान कैलकुलेशन के लिए इसका
इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कैलकुलेटर के इस्तेमाल की इतनी आदत
बन जाती है और फिर छोटी-छोटी गणना करने में भी फिर काफी परेशानी होती है।
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