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Tuesday, July 31, 2018

July 31, 2018

24 घंटे में बदला जा सकेगा मोबाइल ऑपरेटर, जानें इससे जुड़ा पूरा सच


ट्राई की MNP की गाइडलाइन्स के मुताबिक फिलहाल ऐसे कोई भी नियम नहीं बनाया गया है। वहीं, MNP के नियमों बदलाव किए जाने की कोई खबर भी नहीं है



मोबाइल ऑपरेटर बदलने की प्रक्रिया यानी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को लेकर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। इस खबर के मुताबिक, आने वाले दिनों में मोबाइल ऑपरेटर बदलना महज 24 घंटों में संभव हो सकेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) मोबाइल ऑपरेटर बदलने के नए नियम तैयार कर रहा है जिन्हें जल्द ही लागू किए जाने की संभावना है। आपको बता दें कि ये खबर गलत है। ट्राई की MNP की गाइडलाइन्स के मुताबिक फिलहाल ऐसे कोई भी नियम नहीं बनाया गया है। वहीं, MNP के नियमों बदलाव किए जाने की भी कोई खबर नहीं है।

Sunday, July 29, 2018

July 29, 2018

गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी | Gujarat state History Information



गुजरात भारत देश के अन्य राज्यों जैसा ही एक महत्वपूर्ण राज्य। गुजरात में कई सारे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने देश को आजाद बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सबसे वयोवृद्ध पुरुष दादाभाई नौरोजी, और संयुक्त भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महान लोग गुजरात से थे।

Saturday, July 28, 2018

July 28, 2018

इंडस घाटी सभ्यता – हड़प्पा संस्कृति | Harappan Civilization Information In Hindi



इंडस घाटी सभ्यता हड़प्पा संस्कृति – Indus Valley Harappan Civilization एक पुरातात्विक जगह है जो पंजाब, पाकिस्तान के पश्चिम साहिवाल से 24 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इस जगह का नाम रवि नदी के तट पर बसे आधुनिक ग्राम के नाम पर ही रखा गया था। वर्तमान हड़प्पा शहर प्राचीन हड़प्पा से 6 किलोमीटर दूर है। इसके साथ ही वर्तमान हड़प्पा नगर में ब्रिटिश राज में बना एक रेल्वे स्टेशन भी है।
पुराने शहर में प्राचीन काँसे के की मजबूत प्रतिमाये बनी हुई है। वर्तमान हड़प्पा पंजाब और सिंध राज्य के मध्य में बसा हुआ है। सूत्रों कर अनुसार वर्तमान में हड़प्पा में 23,500 लोग 370 एकर के क्षेत्र में हड़प्पा काल में बने मिट्टी के घरो में आज भी रहते है। कहा जाता है की हड़प्पा शहर में पहले कई तरह की प्रजातिया रहती थी, जिसमे मुख्य रूप से रह रही इंडस घाटी सभ्यता / Indus Valley Civilization को हड़प्पा सभ्यता / Harappa Sabhyata भी कहा जाता था।

इंडस घाटी सभ्यता हड़प्पा संस्कृति – Harappan Civilization Information In Hindi

प्राचीन हड़प्पा शहर को ब्रिटिश राज में क ई बार क्षतिग्रस्त किया गया था, उस समय के शासनकाल में ईंटो का उपयोग लाहौर-मुल्तान रेल्वे ट्रैक बनाने में किया जाता था। 2005 में जब यहाँ मनोरंजन पार्क बनाया जा रहा था तभी पुरातात्विक विभाग से इसे उन्मुक्त कर दिया था क्योकि उनके अनुसार इसे बनाते समय कई प्राचीन कलाकृतियों को नुकसान पहुचाया गया था।
पाकिस्तानी पुरातात्विक निवेदक अहमद हसन दानी ने इस जगह की मरम्मत करवाने के लिये भारतीय संस्कृति विभाग से निवेदन भी किया था।

इंडस घाटी सभ्यता हड़प्पा संस्कृति इतिहास – Indus Valley Harappan Civilization History


इंडस घाटी सभ्यता (जो हड़प्पा संस्कृति (Harappan Civilization) के नाम से भी जानी जाती है) की संस्कृति के बीज हमें 6000 BCE में ही मेहरगढ़ में दिखायी देते है। दो महान शहर मोहेंजो-दारो और हड़प्पा लगभग 2600 BCE में इंडस नदी घाटी के साथ पंजाब और सिंध में थे।
मोहेंजो-दारो में सिंध के नजदीक लरकाना और हड़प्पा में पश्चिम पंजाब के लाहौर के दक्षिण में खुदाई होने के बाद 1920 में इस सभ्यता के लेखन सिस्टम, शहरी केंद्र और सामाजिक एवं आर्थिक सिस्टम में कई सुधार किये गए थे। उस समय बहुत सी हिमालय गिरिपीठ की दूसरी जगहों की खुदाई कर उनका भी फैलाव किया गया था, जिसमे भारत में उत्तर से गुजरात के दक्षिण और पश्चिम तक और पाकिस्तान में बलोचिस्तान के पश्चिमी भाग मुख्य रूप से शामिल है, इनकी खुदाई कर अभ्यास किया गया था।
1857 में जब इंजिनियर लाहौर-मुल्तान रेलरोड बना रहे थे तब भी हड़प्पा शासनकाल की ईंटो का उपयोग कर इस घाटी को क्षतिग्रस्त किया गया था। इससे पहले 1826 में हड़प्पा पश्चिम पंजाब में बसते थे और वही उन्होंने ब्रिटिश ऑफिसर के ध्यान को भारत में आकर्षित किया और तभी से हड़प्पा की खुदाई का काम शुरू किया गया।
इंडस लिपि के प्राचीन संकेत
मिट्टी और पत्थर पहले से ही हड़प्पा काल में थे, लेकिन 3300 से 3200 BCE में इन्हें निकाला गया था। जिसमे त्रिशूल के आकर के विशेष पत्थर भी शामिल थे।
आज भी यह एक बड़ा प्रश्न है क्योकि हमें इस हड़प्पा सभ्यता – Harappa Sabhyata की लिपि के कुछ संकेत तो मिले है लेकिन उनसे यह नही पता लगाया जा सकता की उस समय किस लिपि का प्रयोग किया जाता थाऐसा हड़प्पा पुरातात्विक शोध प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डॉ. रिचर्ड मीडो ने कहा था।
लेकिन हड़प्पा सभ्यता की थोड़ी झलक हमें मेसोपोटामिया के सुमेरियन की लिपि में दिखायी देती है, जिनका अस्तित्व तक़रीबन C. 3100 BCE के समय का था। क्योकि उन दोनों की लिपि में कयी समानताये पायी गयी थी जो बाद में इंडस लिपि के नाम से जानी गयी।
संस्कृति और आर्थिक स्थिति – Harappa Sanskriti
इंडस घाटी सभ्यता में शहरी संस्कृति के गुण दिखायी देते है, जिनमे मुख्य रूप से कृषि उत्पादन और व्यापार किया जाता था और बाद में उन्होंने दक्षिणी मेसोपोतामिस के सुमेर के साथ व्यापार करना भी शुरू किया था।
मोहन जोदड़ो और हड़प्पा दोनों को ही साधारणतः अपनी विशेष पहचान जैसे रहने के तरीके, ईंटो से बने विशेष घरो और धार्मिक रीतिरिवाजो के लिये जाना जाता था। मोहेंजो-दारो (Mohenjo Daro) और हड़प्पा इन दोनों शहरो में काफी समानताये पायी गयी थी बल्कि उनकी वेशभूषा, संस्कृति और आर्थिक स्थिति भी ज्यादातर एक जैसी ही थी।
हड़प्पा घाटी के ज्यादातर घर ईंटो से ही बने हुए थे और हड़प्पा घाटी की सभ्यता का मुख्य व्यवसाय व्यापार ही था। वहा के लोग खेती करते समय ज्यादातर कपास का ही उत्पादन करते थे। इसके साथ ही चावल, गेहू और कयी प्रकार की सब्जियों की खेती भी वहा की जाती थी।
उस समय में बहुत कम लोग फलो की खेती करते थे और लोग खेती करने के लिये लकड़े से बनी बैलगाड़ी का उपयोग भी करते थे। उस समय भी आज ही की तरह जानवरों का पालन-पोषणकिया जाता। हड़प्पा संस्कृति प्रगति का मुख्य कारण वहा के लोगो का आत्मनिर्भर होना था।
सूत्रों के अनुसार हड़प्पा घाटी के अधिकांश लोगो का जीवन समृद्ध था। हड़प्पा में संसाधनों के एकत्रीकरण की व्यवस्था ही संस्कृति के विकास का कारण बनी।
लेकिन हड़प्पा संस्कृति – Harappan Civilization के बाद में एक बात तो साफ़ तौर पर कही जा सकती है की हड़प्पा जीवन शांति भरा नही था, दक्षिण एशिया के पूर्व-इतिहास के अनुसार यहाँ पाये जाने वाले मानवी कंकाल हड़प्पा शासनकाल में आकस्मिक चोट का मुख्य कारण बने।
पुरातात्विक विभाग के सर्वे के अनुसार हड़प्पा काल के अंतिम समय में हड़प्पा घाटी के लोग कयी बीमारियों से जूझ रहे थे। जिसमे मुख्य रूप से कार्नियो-फेसिअल मानसिक आघात मुख्य रूप से शामिल था, यह बीमारी तेज़ी से संक्रमित हो रही थी। कहा जाता है की हड़प्पा घाटी के लोग आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद उनका स्वास्थ कभी अच्छा नही रहता था।

July 28, 2018

धोलावीरा का इतिहास और जानकारी | Dholavira history in Hindi



धोलावीरा पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में कुटच जिले के भचाऊ तालुका के खादिरबेट गाँव की जगह है। यह गाँव राधनपुर से 165 दूर है। स्थानिक लोग इसे कोटडा टिम्बा भी कहते है, क्योकि इस जगह पर प्राचीन इंडस घाटी सभ्यता और हड़प्पा शहर के खंडहर पड़े हुए है।
हड़प्पा साम्राज्य की पाँच विशाल जगहों में से यह एक है और साथ ही इंडस घाटी सभ्यता हड़प्पा संस्कृति से संबंध रखने वाली भारत की प्रमुख आर्कियोलॉजिकल जगहों में से एक है। उस समय इस गाँव को सबसे विशाल शहर माना जाता था। यह कुटच के रण में कुटच के रेगिस्तानी वन्य जीव के पास खादिर जमीन पर बसा हुआ है।
Dholavira शहर कुल 120 एकर में फैला हुआ है। यह जगह 2650 BCE से स्थापित है, लेकिन बाद में इसका महत्त्व कम होने लगा था। इसके कुछ समय बाद यहाँ रहना और कुछ भी करना बिल्कुल वर्जित था।


धोलावीरा का इतिहास और जानकारी

Dholavira history in Hindi


इस जगह की खोज 1967-8 में जे.पी. जोशी ने की थी, जो डी.जी. के ए.एस.आय. थे और उस समय यह जगह हड़प्पा की मुख्य जगहों में से एक थी। 1990 से आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने यहाँ कई उत्खनन किये, जिनसे यह पता चला की धोलावीरा ने ही इंडस घाटी सभ्यता को नयी दिशा प्रदान की थी
हड़प्पा से जुडी दूसरी मुख्य जगहों में हड़प्पामोहनजोदड़ो, गनेरीवाला, राखिगढ़ी, कालीबंगन, रूपनगर और लोथल शामिल है।
उत्खनन का कार्य आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने आर.एस.बिष्ट के नेतृत्व में 1989 में उत्खनन का काम शुरू किया था। और इसके साथ-साथ 1990 से लेकर 2005 तक यहाँ कुल 13 बार उत्खनन किया गया था।
उत्खनन करने से यहाँ शहरी विकास भी हुआ और उत्खनन के दौरान हीरे, मोती, जानवरों की हड्डियों, मिट्टी और पीतल के बर्तन और कयी बहुमूल्य रत्न और चीजे भी मिले। आर्कियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार दक्षिण गुजरात, सिंध और पंजाब और पश्चिम एशिया का मुख्य व्यापार स्थान धोलावीरा ही था।
वास्तुकला और सामग्री संस्कृति
माना जाता है की हड़प्पा शहर लोथल से भी पुरानी जगह Dholavira है, यह शहर आयताकार आकार में बसा हुआ है और तक़रीबन 54 एकर में फैला हुआ है। कहा जाता है की यहाँ बसने वाले लोग अपने साथ पूरी संस्कृति लेकर ही आये थे। जब धोलावीरा शहर नया-नया बसा ही था तब वहाँ के लोग मिट्टी के पत्थर बनाते थे, पत्थर तोड़ते थे और शंख आदि के मनके बनाते थे।
इस समय के लोगो ने अपने घरो को बनाने के लिये भी मिट्टी से बनी ईंटो का उपयोग किया था। देख जाये तो धोलावीरा एक किले, मध्य शहर और निचले शहर से मिलकर बना हुआ है। आज के आधुनिक महानगरों जैसी पक्की गटर व्यवस्था पांच हजार साल पहले धोलावीरा में थी। पूरे नगर में धार्मिक स्थलों के कोई अवशेष नहीं पाये गए थे।
इस प्राचीन महानगर में पानी की जो व्यवस्था की गई थी, वह अद्दभुत थी। बंजर जमीन के चारो ओर समुद्र का पानी फैला हुआ था।

July 28, 2018

# बच्चों को स्मार्टफोन देने से पहले इन 6 बातों के बारे में जरूर बताएं



एक समय था जब बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने की बात कही जाती थी, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। स्मार्टफोन अब न सिर्फ एक डिवाइस का नाम है बल्कि ये हमारी जरुरत बन चुके हैं। ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को स्मार्टफोन दे रहें हैं, तो उन्हें 6 बातों के बारे में जरूर बताएं।

Tuesday, July 24, 2018

July 24, 2018

#भारत में तेजी से फैल रहे हैं फेक हेल्थ कंटेट, सोशल मीडिया पर झांसे में आ रहे लोग.


सोशल मीडिया में तेजी से फैल रहेे हैं फर्जी पोस्‍ट. डॉक्‍टर हो रहे हैं परेशान.
सोशल मीडिया इन दिनों एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां असली और फर्जी में फर्क कर पाना लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो गया है. सोशल मीडिया पर फैलने वाली फर्जी खबरों के प्रभाव में आकर लोग अपनी सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर अलग- अलग बिमारी से बचाने के नुस्खे भी तेजी से फॉरवर्ड हो रहे हैं. जिसके चक्कर में लोग आसानी से आ रहे हैं. फेक फॉरवर्ड न्यूज में बताए चमत्कारी इलाज की उम्मीद से डॉक्टरों के पास पहुंचने वाले लोगों ने डॉक्टरों का भी सिरदर्द बढ़ा दिया है.

Monday, July 23, 2018

July 23, 2018

# कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल के मिलेगें पैसे, जानो कैसे ?

Pet bottle recycling
कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल के मिलेगें पैसे, जानो कैसे ?


कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल यानी  Pet bottle recycling करने के लिये फिर से कंपनियों को बेचकर आप  पैसे कमा  सकते हैं पेप्सीकोकोका कोला (Coca-Cola on plastic bottle recycling) और बिस्लरी जैसी टॉप कोल्ड ड्रिंक्स कंपनियां अब अपनी प्लास्टिक की बोतलों को ग्राहक से खरीदेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिककंपनियों ने अपनी प्लास्टिक की बोतलों पर खरीदने की कीमत भी लिखना शुरू कर दिया है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया हैं. इसीलिए कंपनियों ने यह फैसला लिया है.

Sunday, July 22, 2018

July 22, 2018

#Palak Mata-Pita Yojana (Gujarat)


पालक माता-पिता योजना जे बालकोना माता-पिता हयात नथी अथवा तो जे बालकोना पिता मृत्यु पामेल छे अने माता ए पुन:लग्न करेल होय तेवा थी18 वर्ष सुधीना बालको माटे छे. पालक माता-पिता एटले के उछेर करनार ने मासिक रू/ 3000/- नी सहाय बालकना शिक्षण माटे करवामां आवे छे तेना माटे पालक माता-पितानी ग्राम्य विस्तार माटे वार्षिक आवक 27000अने शहेरी विस्तार माटे 36000 थी वधु होवी जोइए.

Saturday, July 21, 2018

July 21, 2018

Jio Phone Monsoon Offer आज से, 501 रुपये में मिल जाएगा Jio Phone



Jio Phone Monsoon ऑफर का आगाज़ हो गया है। याद रहे कि रिलायंस जियो के इस ऑफर के बारे में जानकारी रिलायंस इंडस्ट्रीज की आम सालाना बेठक में दी गथी। इस ऑफर के ज़रिए कंपनी फीचर फोन इस्तेमाल करने वाले यूज़र को Jio Phone खरीदने के लिए प्रेरित करना चाहती है। दरअसल, जियो फोन मॉनसून हंगामा ऑफर में ग्राहक अपने पुराने फीचर फोन को एक्सचेंज करके मात्र 501 रुपये में जियो फोन खरीद सकते हैं। मज़ेदार बात यह है कि यह 501 रुपये भी सिक्योरिटी डिपॉज़िट की राशि है जो तीन साल बाद ग्राहकों को वापस दे दी जाएगी। शुक्रवार शाम 5 बजे से जियो स्टोर में जाकर इस ऑफर का फायदा उठाया जा सकेगा। यह ऑफर शनिवार से देशभर से सभी रिटेल स्टोर (अधिकृत पार्टनर) में भी उपलब्ध हो जाएगा। इसके अलावा टेलीकॉम कंपनी ने जियो मॉनसून हंगामा ऑफर चुनने वाले ग्राहकों के लिए नया प्लान भी पेश किया है।