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Monday, June 4, 2018

फेसबुक-वॉट्सऎप जैसे सोशल मीडिया पर अब रोजाना 3 रुपये 35 पैसे देने होंगे क्या है पुरा मामला जाने.


सोशल मीडिया का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने वालों के लिए एक बुरी खबर है. अब सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर टैक्स लग गया है. टैक्स लगने से अब यूजर्स को रोजाना 0.05 डॉलर यानी 3 रुपए 35 पैसे चुकाने होंगे. हालांकि, ऐसा भारतीय यूजर्स के साथ नहीं हुआ है. लेकिन, युगांडा की संसद ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने वालों पर टैक्स लगाने के कानून को मंजूरी दे दी है. इस कानून के तहत जो लोग भी फेसबुक, वॉट्सएप, वाइबर और ट्विटर  जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें यह टैक्स चुकाना होगा. हालांकि, इस तरह के कानून बनने से यह कंट्रोवर्सी का मुद्दा बन गया है.

क्या है पूरा मामला?

युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवनी ने इस कानून का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून इसलिए लागू किया जा रहा है ताकि सोशल मीडिया पर बेवजह बढ़ती गॉसिप और अफवाहों को रोका जा सके. यह कानून 1 जुलाई से लागू होगा. लेकिन इसे किस तरह से लागू किया जाएगा, इस बात को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. नई एक्साइज ड्यूटी बिल में कई और तरह के टैक्स भी हैं जिसमें कुल मोबाइल मनी ट्रांजेक्शन में अलग से 1 फीसदी का टैक्स देना होता है.

किन लोगो पे होगा ज्यादा असर ?

मोबाइल ट्रांजैक्शन पर लगने वाले टैक्स से सबसे ज्यादा नुकसान युगांडा के गरीब वर्ग का होगा. क्योंकि, गरीब वर्ग बहुत बैंकिंग सर्विस जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं. उस पर यह सोशल मीडिया टैक्स से दोगुना भार पड़ सकता है

टेक्स लगाने कि वजह क्या है

युगांडा के वित्त मंत्री डेविड बहाटी ने संसद में कहा कि यह बढ़े हुए टैक्स युगांडा के राष्ट्रीय कर्ज़ को कम करने के लिए लगाए गए हैं. हालांकि, विशेषज्ञों और कुछ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने सोशल मीडिया पर लगाए जाने वाले इस टैक्स और इसे रोजाना लागू कैसे किया जाएगा, इस पर सवाल उठाए हैं. इससे पहले ही युगांडा सरकार मोबाइल सिम कार्ड्स के रजिस्ट्रेशन के मुद्दे पर जूझ रही है. 

कैसे पता लगेगा कौन कर रहा है इस्तेमाल?

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, युगांडा में 2.3 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर्स हैं, जिनमें से केवल 1.7 करोड़ ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, अब तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि अधिकारी ये कैसे पता करेंगे कि कौन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है और कौन नहीं.

इंटरनेट का कम होगा इस्तेमाल

राष्ट्रपति मुसेवनी ने मार्च में ही इस कानून को लागू करने की वकालत शुरू कर दी थी. उन्होंने वित्त मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सोशल मीडिया पर टैक्स लगाना देश हित में होगा और इससे अफवाहों से उबरने में भी मदद मिलेगी. लेकिन, उनकी ओर से जवाब में कहा गया था कि सोशल मीडिया पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए. क्योंकि, इसका इस्तेमाल शिक्षा और रिसर्च के लिए किया जाता है. आलोचकों का कहना कि यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करेगा लेकिन, मुसेवनी ने इन सभी कयासों को यह कहकर दरकिनार कर दिया था कि इससे लोग इंटरनेट का कम इस्तेमाल करेंगे.

पहले भी लगी थी सोशल मीडिया पर रोक

रॉयटर्स को मार्च में दिए एक इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रपति मुसेवनी ने कहा था कि हम देश की सुरक्षा के लिए फंड की तलाश में हैं. ऐसे फंड से देश में बिजली की समस्या से भी निजात मिलेगी. ज्यादा बिजली मिलने से लोग सोशल मीडिया का ज्यादा आनंद ले सकेंगे. सोशल मीडिया देश की राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम हिस्सा है. 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी. मुसेवनी के मुताबिक, ऐसा अफवाहों को रोकने के लिए किया गया था.


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