इन्टरनेट आज के समय मे बहोत जरूरी बन गया है आज हमारा भविष्य
भी उस पर ही निर्भर है जब इन्टरनेट नही था तब जरूरी डेटा और माहिती का आदान प्रदान
करने मे बहोत मुश्केली होती थी लेकिन अब इन्टरनेट ने उसको और सरल बना दिया है इन्टरनेट
कि शोध मात्र एक व्यक्ति कि देन नही है समय के साथ अनेक लोकोने अपना योगदान दिया है
और संशोधन किया है सन् 1969 मे इन्टरनेट का उपयोग सबसे पहेले अमेरिका के सैन्य के
लिये किया गया था अमेरिका डिफेन्स आर्मी का ध्येय निष्णात द्वारा किये जाने वाले संशोधन
एक दुसरे के साथ शेर कर सके लेकिन कोइ और देख न शके एसी सिस्टम को बनाना था 1969 मे
दुनिया का पहला इन्टरनेट नेटवर्क ARPANET
[Advanced Research Project Agency Network] बना था जो कि केलिफोर्निया युनिवर्सिटीने बनाया था
केलिफोर्निया युनिवर्सिटी ने एसी तकनीक बनायी जिसने लोगो को वैश्विक तौर पर एक नेटवर्क
से सबको जोड दिया सन् 1930 के बाद इस टेकनोलोजी का
निर्माण कि शुरूआत हो गइ थी लेकिन सूचना के केंद्र के रूप में
इसे इंटरनेट के रूप में 1958 के
बाद से जाना जाने लगा एआरपीए के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक बनाई जिसे कि राष्ट्र
के टेलीफोन प्रणाली पर सोवियत हमले की स्थिति में कंप्यूटर के बीच एक नेटवर्क
बनाया गया। 1960 में, जे.सी.आर.
लिक्लाइडर जो कि एआरपीए के निदेशक बने उन्होंने रीयल-टाइम इंटरैक्टिव कम्प्यूटिंग
सैद्धांत पेश किया। इस तकनीक की मदद से कंप्यूटिंग को संभव बनाया जा सकता था जो कि
एआरपीए के शोधकर्ताओं ने विकसित की थी।
1966 में,
एक एमआईटी के शोधकर्ता
ने दुनिया के पहले पैकेट स्विचिंग नेटवर्क पर काम करना शुरू कर दिया, जिसे एआरपीएएनएटी (ARPANET) कहा जाता है। 1969 में, पहला होस्ट-टू-होस्ट मैसेज
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआरआई) में भेजा गया जो कि इंटरनेट
के बारे में सैद्धांतिक दिनदर्शिता को वास्तविकता में बदल रहा था। इसके अलावा दो
और कंप्यूटर जिनमें से एक यूसी सांता बारबरा
में और एक यूटा विश्वविध्यालय में
जिनको बाद में आपस में नेटवर्क से जोड़ दिया गया। और फिर 1970 और 1972 के बीच तेजी से और कई कंप्यूटर
इस नेटवर्क से जोड़े गए।
भारत मे इन्टरनेट कि शुरूआत कब हुइ
विदेश संचार निगम
लिमिटेड यह पहली कंपनी थी जिसने भारत में इंटरनेट को लाया, भारत में इंटरनेट की शुरुआत 14 अगस्त सन 1995
में हुई थी हालांकि इसे
शुरू 15 अगस्त के दिन किया गया था। विदेश संचार निगम लिमिटेड अपने अपने टेलेफोन लाइन ब्रॉडबैंड
से के जरिए दुनिया से भारत के कंप्यूटरों को जोड़ा था।
शुरुआती
दौर में भारत में लगभग 20 से 30 से कंप्यूटर ही इंटरनेट से जुड़े हुए थे। शुरुआत के उस दौर
में इंटरनेट की स्पीड भी बहुत ही कम थी। उस वक्त इंटरनेट की स्पीड 9 से 10 kbps थी। शुरुआती
दौर में इंटरनेट का उपयोग सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए किया
जाता था। इससे कुछ बड़े-बड़े कॉलेज और संस्थान ही जुड़े हुए थे।
लगभग
सन 1990 के दशक में
आम प्रयोगकर्ता भी इसमें रूचि दिखने लगे, धीरे-धीरे सन 1992 तक इससे कई ढेर सारे भारतीय उपभोक्ता इन्टरनेट से जुड़ गए
और आज लगभग लगभग 90% स्मार्टफोन धारक भारत में इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं।
जिनमें से एक आप भी हैं जो अभी इस पोस्ट को इंटरनेट के माध्यम से पढ़ रहे हैं। आज
भारत इंटरनेट प्रयोग के मामले में प्रथम स्थान है और इसका श्रेय जियो को जाता है।
एक सर्वे के अनुसार भारत इंटरनेट की एवरेज स्पीड 6 mb प्रति सेकंड है। हालांकि यह
स्पीड सभी राज्यों और सभी जगहों के लिए सामान्य नहीं है। कुछ जगहों पर आज भी
इंटरनेट की स्पीड बहुत ही धीमी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का स्थान इंटरनेट
स्पीड के मामले में 117वां है।
No comments:
Post a Comment