इसरो के एक
अधिकारी ने कहा, 'हम कोई भी जोखिम मोल नहीं लेना चाहते हैं. अब चंद्रयान-2 मिशन को
जनवरी में रवाना किया जा सकता है'
चांद पर उतरने के
भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को एक बार फिर से टाल दिया गया है. चंद्रयान-2 को इससे पहले
अक्टूबर में ही भेजा जाना था लेकिन अब भारत का यह सपना जनवरी 2019 से पहले पूरा नहीं
हो पाएगा. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है.
भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक साल के भीतर दो बड़ी असफलताओं को झेल चुका है, ऐसे में चंद्रयान-2 मिशन को भी टालने
का फैसला लिया गया है.
क्यों रोकी गई लॉन्चिंग?
चंद्रयान-2 को सबसे पहले
अप्रैल में ही पृथ्वी से रवाना किया जाना था. इस साल की शुरुआत में इसरो ने सैन्य
उपग्रह जीएसएटी-6ए को लॉन्च किया था
लेकिन इस उपग्रह के साथ इसरो का संपर्क टूट गया था. इसके बाद इसरो ने फ्रेंच
गुयाना से जीएसएटी-11 की लॉन्चिंग को यह कहते हुए टाल दिया था कि इसकी कुछ अतिरिक्त तकनीकी जांच की
जाएगी.
पिछले साल
सितंबर में आईआरएनएसएस-1एच नौवहन उपग्रह को लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी39 मिशन अभियान भी असफल रहा था. क्योंकि
इसका हीट शील्ड नहीं खुलने की वजह से उपग्रह छोड़ा नहीं जा सका.
चंद्रयान-2 मिशन क्यों है अहम?
इन दो बड़ी
असफलताओं के बाद इसरो चंद्रयान-2 के साथ एहतियात बरत रहा है. क्योंकि चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन
के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन है. किसी भी खगोलीय पिंड पर उतरने का इसरो का
यह पहला मिशन है.
इसरो के एक
अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'हम कोई भी जोखिम मोल नहीं लेना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि
अब चंद्रयान-2
मिशन को
जनवरी में रवाना किया जा सकता है.
अप्रैल में
सिवन ने सरकार को अक्टूबर-नवंबर में होने वाली लॉन्चिंग को टालने की सूचना दी थी. चंद्रयान-2 की समीक्षा
करनेवाली एक राष्ट्रीय स्तर की समिति ने इस मिशन से पहले कुछ अतिरिक्त परीक्षण की
सिफारिश की थी.
चंद्रयान-2 चांद पर रोवर
उतारने की इसरो की पहली कोशिश है. इस पर करीब 800 करोड़ रुपए का खर्च आया है. और यह चांद के
दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. चांद के इस हिस्से की ज्यादा जांच-पड़ताल अब तक नहीं हुई
है.
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